Sunday, May 5, 2024

Mantra for Home Puja

                                ॐ........ॐ.....ॐ.......
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदः । शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिनमोऽस्तु ते ॥
दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योति जनार्दनः । दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते ॥
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा| निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः| गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः ||

समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥(Bhumi Vandana)
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।    यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।     नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ॥
ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।  त्वं च धारय मां देवि  पवित्रं कुरु चासनम् ॥  (Aasana Puja)
आगमार्थं तु देवानां गमनार्थं तु रक्षसाम् ।   घण्टारवं करोम्यादौ देवताह्वान लाञ्छनम् ॥
शङ्खं चन्द्रार्क दैवत्यं मध्ये वरुण दैवतम् ।  पृष्ठे प्रजापति विद्यात् अग्रे गङ्गा सरस्वती ॥
त्वं पुरा सागरोत्पन्नः विष्णुना विधृतः करे ।  पूजितः सर्व देवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते ॥

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं/देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।   प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं| विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर -र्ध्यान -गम्यम्| वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव । त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव । त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥

ॐ केशवाय नमः ! ॐ माधवय नमः ! ॐ नारायणाय नमः ! ॐ हृषिकेशाय नमः !!

मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिं । यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम् ॥
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे | रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः ।॥
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्| देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ||

नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने । बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ॥
नमः सूर्याय चन्द्राय मंगलाय बुधाय च|.   गुरुः शुक्र शनिःभिः च राहवे केतवे नमः ||
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।    करमूले (स्थित गौरी ) तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥
या देवी सर्वभुतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
सर्व -मङ्गल -मङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ -साधिके| शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते |
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि । गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ (3 times)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥(3 times)

ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु । सर्वेशां शान्तिर्भवतु । सर्वेशां पुर्णंभवतु । सर्वेशां मङ्गलंभवतु ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मा अमृतं गमय ।

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।  पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।    यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

अन्यथा शरणं नास्ति, त्वमेव शरणं मम । तस्मात्कारुण्यभावेन, रक्ष मां परमेश्वर |
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते | पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
                             ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥










सचिदानंद भगवन की जय ! पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र की जय ! पवनसूत हनुमान की जय ! गंगा मैया की जय ! नमः पार्वती पतये हर हर महादेव !














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Thursday, February 15, 2024

daily affimations



General Wellness

1. “My mind is brilliant. My body is healthy. My spirit is tranquil.”

Mind

2. “I create my own path and walk it with joy.”

3. “My positive thoughts guide me to new heights.”

4. “I am conquering my fears and becoming stronger each day.”

5. “I will have a good day, because it’s my choice.”

6. “I am not afraid to be wrong.”

Body

7. “My body is a temple. I keep my temple clean.”

8. “I hold the key to better health through eating better and exercise.”

9. “Good health is a practice, and I have patience.”

10. “I listen to my body and give it what it needs.”

11. “Every cell in my body is alive and beautiful.”

Spirit

12. “My potential is limitless, and I choose where to spend my energy.”

13. “While I support others, I also ask for help when needed.”

14. “I surrender to the flow and have faith in the ultimate good.”

15. “I will speak with confidence and self-assurance.”

16. “My commitment to myself is unbreakable.”

Tuesday, January 30, 2024

Other puja Mantra to be memorized



आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

अन्यथा शरणं नास्ति, त्वमेव शरणं मम ।
तस्मात्कारुण्यभावेन, रक्ष मां परमेश्वर |
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं/देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

ॐ केशवाय नमः !  ॐ माधवय नमः ! ॐ नारायणाय नमः ! ॐ हृषिकेशाय नमः !!

नमः सूर्याय चन्द्राय मंगलाय बुधाय  च 
गुरुः शुक्र  शनिःभिः च राहवे केतवे नमः  || 

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती

करमूले (स्थित  गौरी ) तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥ 


नवग्रह शांति मंत्र: 
सूर्य मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
चंद्र मंत्र: ओम श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः ।
मंगल मंत्र: ओम क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: ।
बुधा मंत्र: ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ।
गुरु मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
शुक्र मंत्र: ओम द्रां द्रीं द्रौम सः शुक्राय नमः ।
शनि मंत्र: ओम प्रां प्रीं प्रोम सह शनै नमः ।
राहु मंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
केतु मंत्र - ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।
हनुमान मंत्र
गौमाता मंत्र


डेली मंत्र




पाद्य
अर्ध्य
आचमन


स्वयं का शुद्धीकरण
पूजन सामग्री का शुद्धीकरण या पवित्रीकरण


पाद्य- भगवान के पैर धुलने की भावना से जल चढ़ाया जाता है।
अर्घ्य- केशर, चंदन, अक्षत यानी बिना टूटे चावल, फूल मिले जल से भगवान का स्वागत किया जाता है।
आचमन- भगवान को शुद्धि के लिए हाथ पर जल दिया जाता है।
स्नान- भगवान को शुद्ध जल से स्नान करवाया जाता है।
वस्त्र- स्नान के बाद भगवान को वस्त्र चढ़ाए जाते हैं। प्रतीक रूप में पूजा का धागा भी दिया जाता है।
आभूषण- भगवान को उनके स्वरूप के अनुरूप गहने व शस्त्र चढ़ाए जाते हैं।
गंध- भगवान का गंध द्वारा सत्कार करते हैं व उनके शरीर पर गंध लगाई जाती है।
अक्षत- बिना टूटे चावल पूजा कर्म के अखंड फल के प्रतीक के रूप में चढ़ाए जाते हैं।
पुष्प- भगवान को उनकी रुचि के ताजे फूल व मालाएं भेंट की जाती हैं।
धूप- सुगंधित धूप से भगवान को प्रसन्न किया जाता है।
दीप- दीप जलाकर भगवान को ज्योति दिखाई जाती है। भावना होती है कि दीपक के समान प्रकाशवान बनने की।
नैवेद्य- खाने की शुद्ध वस्तुएं फल आदि का भोग लगाया जाता है।
आचमन- तीन बार जल देकर भगवान से शुद्धि की प्रार्थना ही जाती है।
तांबुल- पान, सुपारी, लौंग, इलायची आदि मुख शुद्धि के रूप में प्रदान की जाती है। भेंटस्वरूप दक्षिणा भी दी जाती है।
स्तव प्रार्थना- स्तुति कर दु:ख-विघ्न को समाप्त करने व सर्व कल्याण की प्रार्थना भगवान से जाती है।
आरती नमस्कार- षोडशोपचार पूजा का समापन आरती, मंत्र पुष्पांजलि व नमस्कार से होता है। आरती भगवान के स्वरूप के स्मरण के लिए है। अपनी इच्छाएं पुष्पों के साथ भगवान को समर्पित करना पुष्पांजलि है। नमस्कार के रूप में भगवान को अपना अहंकार समर्पित करना चाहिए।